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Bhagavad Gita Explained

Gita Wisdom

भगवद गीता – अध्याय 1, श्लोक 25, धर्म युद्ध के पहले दर्शन – अर्जुन की दृष्टि से

भगवद गीता – अध्याय 1, श्लोक 25, धर्म युद्ध के पहले दर्शन – अर्जुन की दृष्टि से संस्कृत श्लोक: भीष्मद्रोणप्रमुखतः सर्वेषां च महीक्षिताम् | उवाच पार्थः पश्यैतान् समवेतान् कुरूनिति ॥ 25॥   शब्दार्थ (Shabdarth): भीष्म-द्रोण-प्रमुखतः – भीष्म और द्रोणाचार्य के सामने सर्वेषां च महीक्षिताम् – और अन्य सभी राजाओं के सामने उवाच – कहा पार्थः […]

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भगवद गीता – अध्याय 1, श्लोक 23

भगवद गीता – अध्याय 1, श्लोक 23, परखना है कौन खड़ा है अधर्म के साथ श्लोक : योत्स्यमानानविक्षेऽहं य एतेऽत्र समागताः।  धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेः युध्दे प्रियचिकीर्षवः॥ 23॥   शब्दार्थ (Shabdarth): योत्स्यमानान अविक्षे अहम्: – मैं देखना चाहता हूँ इन युद्ध करने वालों को य एते अत्र समागताः – जो यहाँ एकत्र हुए हैं धार्तराष्ट्रस्य दुर्बुद्धेः –

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भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 22 – शत्रु कौन है? अर्जुन की युद्धपूर्व दृष्टि

भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 22 – शत्रु कौन है? अर्जुन की युद्धपूर्व दृष्टि   श्लोक : यावत्स्येतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान् | कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन् रणसमुद्यमे ॥ 1.22 शब्दार्थ :यावत् – जब तक एतान् निरीक्षे अहम् – मैं इनको देख न लूं योद्धुकामान् अवस्थितान् – जो युद्ध की इच्छा से खड़े हैं कैः मया सह योद्धव्यम् –

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