कालिय का समर्पण
Vrindavan ki Yamuna mein Krishna leela यमुना की लहरों में जहर सा बसा,कालिय का अहंकार जल में था तना।नीलमणि श्याम, जब उतरे वहाँ,नृत्य की थापों से कम्पित धरा।नवनीत चोर, कन्हैया विराजे,पैरों में बंधा, नाग भागे न आज।पाँच सौ फनों पे चरणों की छाया,बंसी की धुन में समर्पण की माया।“हे प्रभु!” कहा नाग ने कांपते स्वर,“मैं […]