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Poetry

कालिय का समर्पण

Vrindavan ki Yamuna  mein Krishna leela यमुना की लहरों में जहर सा बसा,कालिय का अहंकार जल में था तना।नीलमणि श्याम, जब उतरे वहाँ,नृत्य की थापों से कम्पित धरा।नवनीत चोर, कन्हैया विराजे,पैरों में बंधा, नाग भागे न आज।पाँच सौ फनों पे चरणों की छाया,बंसी की धुन में समर्पण की माया।“हे प्रभु!”  कहा नाग ने कांपते स्वर,“मैं […]

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तुलसीदास जी की जीवन शैली: और प्रमुख शिक्षाएं

तुलसीदास जी की जीवन शैली: और प्रमुख शिक्षाएं   गोस्वामी तुलसीदास जी हिंदी साहित्य और भक्ति आंदोलन के एक महान संत, कवि और रामभक्त थे। उनका जीवन श्रीराम के चरणों में पूर्णतः समर्पित था। माता-पिता का नाम:पिता: आत्माराम दुबेमाता: हुलसी देवी तुलसीदास जी कहाँ से थे:जन्म स्थान: तुलसीदास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के राजापुर

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श्री चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाएं | भक्ति, हरिनाम संकीर्तन और शुद्ध प्रेम

श्री चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाएं | भक्ति, हरिनाम संकीर्तन और शुद्ध प्रेम   श्री चैतन्य महाप्रभु का जीवन दिव्य, प्रेममय और पूर्णतः भगवान श्रीकृष्ण के नाम के प्रचार में समर्पित था। वे शुद्ध भक्ति (nishkama prema bhakti) के सर्वोच्च आचार्य माने जाते हैं। उनका जीवन और शिक्षाएँ संकीर्तन, विनम्रता, करुणा, और आत्म-समर्पण की मूर्तियाँ हैं।

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Adhyay 1, Shlok 15 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 15 ) “धर्म की घोषणा अब तेज़ होती है – पाँचों पांडवों का शंखनाद”

श्रीकृष्ण, अर्जुन और भीम का शंखनाद – गीता श्लोक 1.15 का गूढ़ अर्थ   श्लोक 1.15॥पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनंजयः।पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदरः॥  शब्दार्थहृषीकेशः – भगवान श्रीकृष्णपाञ्चजन्यं – श्रीकृष्ण का शंखधनंजयः – अर्जुन (जो सम्पत्ति जीतने वाला है)देवदत्तं – अर्जुन का शंखभीमकर्मा वृकोदरः – भीम (बलशाली कार्यों वाला, वृहद उदर वाला)पौण्ड्रं महाशङ्खं – भीम का

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Adhyay 1, Shlok 14 – कृष्ण-अर्जुन का शंखनाद: धर्म की ओर पहला कदम

Adhyay 1, Shlok 14 – कृष्ण-अर्जुन का शंखनाद: धर्म की ओर पहला कदम   श्लोक : 1.14 ततः श्वेतैः हयैः युक्ते महति स्यन्दने स्थितौ | माधवः पाण्डवश्चैव दिव्यौ शङ्खौ प्रदध्मतुः ॥  शब्दार्थततः — इसके बादश्वेतैः हयैः युक्ते — श्वेत अश्वों से जुते हुएमहति स्यन्दने स्थितौ — महान रथ में स्थितमाधवः — श्रीकृष्ण (माधव)पाण्डवः च एव — और

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Adhyay 1, Shlok 13 – जब युद्धभूमि गूंज उठी: हर योद्धा ने शंख बजाया

Adhyay 1, Shlok 13 – जब युद्धभूमि गूंज उठी: हर योद्धा ने शंख बजाया   श्लोक : 1.13 ततः शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः |सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत्॥  शब्दार्थततः – इसके बादशङ्खाः च – शंखभेर्यः च – भेरी (ढोल जैसे वाद्य)पणवानक गोमुखाः – अन्य युद्ध वाद्य जैसे मृदंग और तुरहीसहसा एव – एकसाथ हीअभ्यहन्यन्त – बजाए गएसः शब्दः –

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भगवद गीता 1.12 – जब भीष्म ने शंखनाद किया और युद्ध की ज्वाला भड़क उठी

भगवद गीता 1.12 – जब भीष्म ने शंखनाद किया और युद्ध की ज्वाला भड़क उठी   श्लोक: 1.12 तस्य संजनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः।सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान्॥ शब्दार्थ:तस्य — उसका (दुर्योधन का)सञ्जनयन् हर्षम् — उत्साह उत्पन्न करते हुएकुरु वृद्धः — कुरु वंश के वृद्ध (भीष्म पितामह)पितामहः — पितामहसिंहनादं — सिंह के समान गर्जनाविनद्य — गर्जना करते हुएउच्चैः

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भगवद गीता 1.11 – दुर्योधन का आह्वान | कौरवों की एकता बनाम धर्म की परीक्षा

भगवद गीता 1.11 – दुर्योधन का आह्वान | कौरवों की एकता बनाम धर्म की परीक्षा   श्लोक: 1.11 अयनेषु च सर्वेषु यथाभागम् अवस्थिताः।भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि॥ शब्दार्थ:अयनेषु — मोर्चों परच सर्वेषु — और सभी स्थानों परयथाभागम् अवस्थिताः — अपने-अपने स्थानों पर स्थित हुएभीष्मम् एव — केवल भीष्म की हीअभिरक्षन्तु — रक्षा करेंभवन्तः सर्वे एव हि

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Adhyay 1, Shlok 10 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 10 )

Adhyay 1, Shlok 10 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 10 )   श्लोक: 1.10 अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्।पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्॥ शब्दार्थ:अपर्याप्तम् — अपर्याप्त (अपर्याप्त यहाँ विडंबनात्मक रूप से कहा गया है)तत् अस्माकं बलम् — हमारी सेना की शक्तिभीष्म अभिरक्षितम् — भीष्म द्वारा रक्षितपर्याप्तम् — पर्याप्ततत् इदं एतेषां बलम् — पांडवों की सेना की शक्तिभीम अभिरक्षितम्

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Adhyay 1, Shlok 9 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 9 )

Adhyay 1, Shlok 9 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 9 )   श्लोक: 1.9 अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः। नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः॥  शब्दार्थ:अन्ये च — और भीबहवः शूराः — बहुत से वीरमदर्थे — मेरे लिएत्यक्तजीविताः — जीवन त्यागने को तत्परनानाशस्त्रप्रहरणाः — अनेक प्रकार के शस्त्रों से युक्तसर्वे युद्धविशारदाः — सभी युद्ध में कुशल भावार्थ:दुर्योधन कहता है

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