Skip to content

Gita Wisdom

Gita Wisdom

Adhyay 1, Shlok 13 – जब युद्धभूमि गूंज उठी: हर योद्धा ने शंख बजाया

Adhyay 1, Shlok 13 – जब युद्धभूमि गूंज उठी: हर योद्धा ने शंख बजाया   श्लोक : 1.13 ततः शङ्खाश्च भेर्यश्च पणवानकगोमुखाः |सहसैवाभ्यहन्यन्त स शब्दस्तुमुलोऽभवत्॥  शब्दार्थततः – इसके बादशङ्खाः च – शंखभेर्यः च – भेरी (ढोल जैसे वाद्य)पणवानक गोमुखाः – अन्य युद्ध वाद्य जैसे मृदंग और तुरहीसहसा एव – एकसाथ हीअभ्यहन्यन्त – बजाए गएसः शब्दः – […]

Gita Wisdom

भगवद गीता 1.12 – जब भीष्म ने शंखनाद किया और युद्ध की ज्वाला भड़क उठी

भगवद गीता 1.12 – जब भीष्म ने शंखनाद किया और युद्ध की ज्वाला भड़क उठी   श्लोक: 1.12 तस्य संजनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः।सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान्॥ शब्दार्थ:तस्य — उसका (दुर्योधन का)सञ्जनयन् हर्षम् — उत्साह उत्पन्न करते हुएकुरु वृद्धः — कुरु वंश के वृद्ध (भीष्म पितामह)पितामहः — पितामहसिंहनादं — सिंह के समान गर्जनाविनद्य — गर्जना करते हुएउच्चैः

Gita Wisdom

भगवद गीता 1.11 – दुर्योधन का आह्वान | कौरवों की एकता बनाम धर्म की परीक्षा

भगवद गीता 1.11 – दुर्योधन का आह्वान | कौरवों की एकता बनाम धर्म की परीक्षा   श्लोक: 1.11 अयनेषु च सर्वेषु यथाभागम् अवस्थिताः।भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्तः सर्व एव हि॥ शब्दार्थ:अयनेषु — मोर्चों परच सर्वेषु — और सभी स्थानों परयथाभागम् अवस्थिताः — अपने-अपने स्थानों पर स्थित हुएभीष्मम् एव — केवल भीष्म की हीअभिरक्षन्तु — रक्षा करेंभवन्तः सर्वे एव हि

Gita Wisdom

Adhyay 1, Shlok 10 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 10 )

Adhyay 1, Shlok 10 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 10 )   श्लोक: 1.10 अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्।पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्॥ शब्दार्थ:अपर्याप्तम् — अपर्याप्त (अपर्याप्त यहाँ विडंबनात्मक रूप से कहा गया है)तत् अस्माकं बलम् — हमारी सेना की शक्तिभीष्म अभिरक्षितम् — भीष्म द्वारा रक्षितपर्याप्तम् — पर्याप्ततत् इदं एतेषां बलम् — पांडवों की सेना की शक्तिभीम अभिरक्षितम्

Gita Wisdom

Adhyay 1, Shlok 9 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 9 )

Adhyay 1, Shlok 9 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 9 )   श्लोक: 1.9 अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः। नानाशस्त्रप्रहरणाः सर्वे युद्धविशारदाः॥  शब्दार्थ:अन्ये च — और भीबहवः शूराः — बहुत से वीरमदर्थे — मेरे लिएत्यक्तजीविताः — जीवन त्यागने को तत्परनानाशस्त्रप्रहरणाः — अनेक प्रकार के शस्त्रों से युक्तसर्वे युद्धविशारदाः — सभी युद्ध में कुशल भावार्थ:दुर्योधन कहता है

Gita Wisdom

Adhyay 1, Shlok 8 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 8 )

Adhyay 1, Shlok 8 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 8 )  श्लोक: 1.8 कर्णः च विकर्णः च अश्वत्थामा विकर्णः एव च। सौमदत्तिः च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्तजीविताः॥  शब्दार्थ:कर्णः — कर्णविकर्णः — विकर्ण (धृतराष्ट्र का पुत्र)अश्वत्थामा — द्रोणाचार्य का पुत्रसौमदत्तिः — भूरिश्रवा (सौमदत्त का पुत्र)बहवः शूराः — और भी बहुत से वीरमदर्थे त्यक्तजीविताः — मेरे लिए अपने प्राण

Gita Wisdom

Adhyay 1, Shlok 7 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 7 )

Adhyay 1, Shlok 7 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 7 )   श्लोक 1.7 अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम। नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते॥ शब्दार्थ (Word Meaning):अस्माकं तु – हमारी ओर से तोविशिष्टाः ये – जो विशेष (प्रमुख) हैंतान् निबोध – उन्हें जानोद्विजोत्तम – हे ब्राह्मणश्रेष्ठ (संजय)नायकाः मम सैन्यस्य – मेरी सेना के नायकसंज्ञार्थम् –

Gita Wisdom

Adhyay 1, Shlok 6 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 6 )

Adhyay 1, Shlok 6 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 6 )   श्लोक 1.6 युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्। सौभद्रः द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः॥ शब्दार्थ:युधामन्युश्च – युधामन्यु भीविक्रान्तः – अत्यंत पराक्रमीउत्तमौजाः च – और उत्तमौजावीर्यवान् – बलशालीसौभद्रः – सुभद्रा का पुत्र (अभिमन्यु)द्रौपदेयाः च – द्रौपदी के पुत्रसर्वे एव महारथाः – ये सभी महान योद्धा हैं भावार्थ (Meaning):दुर्योधन कहता

Gita Wisdom

Adhyay 1, Shlok 5 (भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 5)

Adhyay 1, Shlok 5 (भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 5)   श्लोक: 1.5 धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्। पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुंगवः॥ शब्दार्थ:धृष्टकेतुः – धृष्टकेतु (शिशुपाल का पुत्र)चेकितानः – चेकितान (यादव कुल के महान योद्धा)काशिराजः – काशी का राजावीर्यवान्: – अत्यंत पराक्रमीपुरुजित्, कुन्तिभोजः – कुंती के संबंधी और वीर योद्धाशैब्यः – शैब्य (धार्मिक और महान राजाओं में एक)नरपुंगवः – श्रेष्ठ

Gita Wisdom

Adhyay 1, Shlok 4 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 4)

Adhyay 1, Shlok 4 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 4)  श्लोक: 1.4 अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि। युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः॥ शब्दार्थ:अत्र – यहाँशूरा – पराक्रमी योद्धामहेष्वासा – महान धनुषधारीभीम-अर्जुन-समा युधि – युद्ध में भीम और अर्जुन के समानयुयुधानः – युयुधान (सात्यकि)विराटः – विराटद्रुपदः च महारथः – और महारथी द्रुपद ”अनुवाद:“ धृतराष्ट्र ने कहा: वहां पाण्डवों के ऐसे शूरवीर

Our sales representatives will call you soon. Karl hall for president of the united states karl hall for president of the united states. No registration required just upload and download optimized audio files instantly.