Skip to content

भगवद गीता – अध्याय 1, श्लोक 16


श्लोक 1.16॥ 

अनन्तविजयं राजा कुन्तीपुत्रो युधिष्ठिरः। 

नकुलः सहदेवश्च सुघोषमणिपुष्पकौ॥

 

अनुवाद:
राजा युधिष्ठिर ने अनन्तविजय नामक शंख बजाया, और उनके भाई नकुल तथा सहदेव ने क्रमशः सुघोष तथा मणिपुष्पक नामक शंखों का नाद किया।

शब्दार्थ (Shabdarth):
अनन्तविजयम् – अनन्तविजय नामक शंख
राजा कुन्तीपुत्रः युधिष्ठिरः – कुन्तीपुत्र राजा युधिष्ठिर
नकुलः सहदेवः च – नकुल और सहदेव
सुघोष-मणिपुष्पकौ – सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख

भावार्थ (Simple Meaning):

धर्मराज युधिष्ठिर ने अनन्तविजय नामक शंख बजाया। उनके भाइयों नकुल ने सुघोष, और सहदेव ने मणिपुष्पक नामक शंख बजाकर युद्ध के लिए तैयार होने की घोषणा की।

 

गूढ़ अर्थ (Deeper Spiritual Insight):

यह केवल शंख बजाने की बात नहीं है। हर शंख किसी एक अद्भुत गुण का प्रतीक है।

अनन्तविजय – जो कभी न हारने वाला है, युधिष्ठिर की सत्यनिष्ठा और धर्मनिष्ठा की गूंज।

सुघोष – जिसकी ध्वनि मीठी और प्रभावशाली हो, नकुल के सौंदर्य और शील का प्रतीक।

मणिपुष्पक – जिसमें आभूषणों जैसी शोभा और पुष्पों जैसा सौम्य सौंदर्य हो, सहदेव की विवेकशीलता का प्रतीक।

यहां पर धर्म और संयम की शक्ति का उद्घोष हो रहा है।

 

Spiritual Learning (आध्यात्मिक सीख):

हर आत्मा के भीतर एक “अनन्तविजय” छिपा है – जो कभी हारता नहीं, यदि वह धर्म के साथ हो। हमें अपनी अंतरात्मा से ऐसा ही उद्घोष करना चाहिए – जहाँ सच्चाई, विवेक और मधुरता की ध्वनि हो।

 

जीवन में प्रयोग (Life Application):

जब भी हम किसी सकारात्मक यात्रा की शुरुआत करें, कोई महत्वपूर्ण निर्णय लें, तो भीतर अपने गुणों का शंखनाद करें। यह श्लोक हमें सिखाता है कि सच्चा विजयी वही है जो धर्म के साथ है, चाहे वह युधिष्ठिर हो या हम।

 

इसे भी पढ़े – भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 15 – “धर्म की घोषणा अब तेज़ होती है – पाँचों पांडवों का शंखनाद”


अगर आपकी रुचि कविता पढ़ने में है तो आप इसे भी पढ़ें – Click Now

karl hall for president of the united states. Supporting conventional cancer cure and treatments. Find millions of products across eu.