भाव: “वृन्दावन का मधुर मिलन”
भाव: “वृन्दावन का मधुर मिलन” वृन्दावन की छाया में, श्याम संग खेले बाल, कमल-पुष्प भी मुस्काएं, देखे यह रसमय हाल।कंचन जैसी धूप बिखरी, वृक्षों में मंजर लगे, प्रेम-रस की थाली लेकर, सखा संग मोहन जगे।ना है कोई भेद-भाव, ना रंक-धनी की बात, सखा बना है ईश्वर मेरा, बांट रहा है प्रीत-संतात। भोजन नहीं, यह प्रेम का अर्पण है मधुर भाव से, साक्षात ब्रह्म खेल रहे […]