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May 2025

Gita Wisdom

Adhyay 1, Shlok 7 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 7 )

Adhyay 1, Shlok 7 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 7 )   श्लोक 1.7 अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम। नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते॥ शब्दार्थ (Word Meaning):अस्माकं तु – हमारी ओर से तोविशिष्टाः ये – जो विशेष (प्रमुख) हैंतान् निबोध – उन्हें जानोद्विजोत्तम – हे ब्राह्मणश्रेष्ठ (संजय)नायकाः मम सैन्यस्य – मेरी सेना के नायकसंज्ञार्थम् – […]

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Adhyay 1, Shlok 6 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 6 )

Adhyay 1, Shlok 6 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 6 )   श्लोक 1.6 युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्। सौभद्रः द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः॥ शब्दार्थ:युधामन्युश्च – युधामन्यु भीविक्रान्तः – अत्यंत पराक्रमीउत्तमौजाः च – और उत्तमौजावीर्यवान् – बलशालीसौभद्रः – सुभद्रा का पुत्र (अभिमन्यु)द्रौपदेयाः च – द्रौपदी के पुत्रसर्वे एव महारथाः – ये सभी महान योद्धा हैं भावार्थ (Meaning):दुर्योधन कहता

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Adhyay 1, Shlok 5 (भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 5)

Adhyay 1, Shlok 5 (भगवद गीता: अध्याय 1, श्लोक 5)   श्लोक: 1.5 धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्। पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुंगवः॥ शब्दार्थ:धृष्टकेतुः – धृष्टकेतु (शिशुपाल का पुत्र)चेकितानः – चेकितान (यादव कुल के महान योद्धा)काशिराजः – काशी का राजावीर्यवान्: – अत्यंत पराक्रमीपुरुजित्, कुन्तिभोजः – कुंती के संबंधी और वीर योद्धाशैब्यः – शैब्य (धार्मिक और महान राजाओं में एक)नरपुंगवः – श्रेष्ठ

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Adhyay 1, Shlok 4 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 4)

Adhyay 1, Shlok 4 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 4)  श्लोक: 1.4 अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि। युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः॥ शब्दार्थ:अत्र – यहाँशूरा – पराक्रमी योद्धामहेष्वासा – महान धनुषधारीभीम-अर्जुन-समा युधि – युद्ध में भीम और अर्जुन के समानयुयुधानः – युयुधान (सात्यकि)विराटः – विराटद्रुपदः च महारथः – और महारथी द्रुपद ”अनुवाद:“ धृतराष्ट्र ने कहा: वहां पाण्डवों के ऐसे शूरवीर

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Adhyay 1, Shlok 3 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 3)

Adhyay 1, Shlok 3 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 3)   श्लोक: 1.3 पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् | व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ॥ शब्दार्थ:पश्य – देखिएएताम् – इसपाण्डुपुत्राणाम् – पाण्डु के पुत्रों कीआचार्य – हे आचार्य (द्रोणाचार्य)महतीम् चमूम् – महान सेना कोव्यूढाम् – युद्ध के लिए व्यवस्थितद्रुपदपुत्रेण – द्रुपद के पुत्र (धृष्टद्युम्न) द्वारातव शिष्येण – आपके

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Adhyay 1, Shlok 2 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 2)

Adhyay 1, Shlok 2 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 2)   श्लोक: 1.2 सञ्जय उवाच | दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा। आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्॥ शब्दार्थ:सञ्जय उवाच – संजय ने कहादृष्ट्वा तु – देखकरपाण्डव-अनीकं – पांडवों की सेना कोव्यूढं – युद्ध की व्यवस्थित रचना में खड़ी हुईदुर्योधनः तदा – उस समय दुर्योधनआचार्यम् उपसंगम्य – अपने गुरु (द्रोणाचार्य) के पास

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Adhyay 1, Shlok 1 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 1)

Adhyay 1, Shlok 1 (भगवद गीता अध्याय 1 श्लोक 1)   श्लोक: 1.1 धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः। मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय॥ शब्दार्थ:धृतराष्ट्र उवाच – धृतराष्ट्र ने कहाधर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे – धर्म की भूमि कुरुक्षेत्र मेंसमवेता युयुत्सवः – युद्ध की इच्छा रखने वाले एकत्रित हुएमामकाः पाण्डवाः च एव – मेरे पुत्र और पांडु के पुत्रकिम अकुर्वत संजय

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