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माँ राधा, पिताश्री कृष्ण – उस बालक की पुनर्जन्म गाथा - भाग 1

एक आत्मा की पुकार और प्रभु की करुणा पर आधारित कहानी

प्रारंभ – अधूरी पुकार
बहुत समय पहले की बात है। एक युवक था उसका मन संसार में था, लेकिन आत्मा श्रीकृष्ण और राधारानी की भक्ति में डूबा हुआ था। वो रोज़ उनकी तस्वीरों के आगे बैठता, माँ राधा और पिता कृष्ण के रूप में उनका ध्यान करता। परंतु जीवन की आपाधापी, कामनाएं, और मोह-माया के कारण वो कभी प्रभु का साक्षात् दर्शन नहीं कर सका। वो जानता था कुछ है जो अधूरा है।
और फिर… एक दिन, जब उसकी मृत्यु हुई, उसने अंतिम बार आँखें मूँदीं और एक गहरी प्रार्थना की:
“हे राधा-कृष्णा, हे भगवान आपकी कृपा अपार है मुझ पर भी एक करुणामई कृपा करो, अगले जन्म में मुझे अपने पुत्र की तरह अपनाना। इस बार मैं कुछ न बनूंगा सिर्फ़ आपका बनूंगा…”

पुनर्जन्म – कृपा का बीज
कुछ वर्षों बाद, एक धनी, प्रतिष्ठित और धार्मिक परिवार में एक बालक ने जन्म लिया। परिवार के मंदिर में श्रीराधाकृष्ण की सुंदर मूर्तियाँ थीं, और जैसे ही वह बच्चा थोड़ा बड़ा हुआ उसे उन्हीं मूर्तियों में माँ और पिता के रूप दिखाई देने लगे।
वो रोज़ उन मूर्तियों को “माँ” और “पिता” कहकर पुकारता। लोग हँसते उसका मजाक उड़ाते पर उसकी आँखों में प्रेम था, जो सामान्य दृष्टि से देख पाना कठिन था ऐसा लगता था की वो प्रेम इस संसार से नहीं था।

स्मृति की जागृति
एक दिन, जब वह 11 वर्ष का हुआ, उसने राधाकृष्ण के चरणों में बैठकर रोते हुए कहा:
“मुझे याद नहीं सब कुछ, लेकिन मुझे इतना याद है कि मैंने आपसे वादा किया था कि मैं सिर्फ़ आपका हो जाऊँगा… और आप मेरे माता-पिता बनेंगे। अब मुझे बताइए क्या अब मैं आपके योग्य हूँ?”
और उसी रात… उसने एक दिव्य स्वप्न देखा। श्रीकृष्ण ने उसे बाहों में भर लिया और कहा:
“पुत्र, हम सदा तेरे ही रहे तू ही था जो खुद से दूर हो गया था। इस जन्म में तुझे भक्ति मिलेगी, परंतु अब तुझे मोह नहीं छूएगा…”

अंत – पूर्णता की यात्रा
उस दिन के बाद वह बालक संसार में रहते हुए भी, संसार से परे हो गया। उसने अपने माता-पिता की सेवा भी राधा-कृष्ण समझकर की। वो जीवनभर बाल स्वरूप ही रहा मासूम, निर्मल और निश्छल।
लोग उसे आज भी एक “ईश्वरीय बालक” कहते हैं। उसके कक्ष में एक चित्र है और कोई नहीं जनता की वो चित्र कहा से आया है जिसमें श्रीराधाकृष्ण उसे गोद में उठाए हैं… और नीचे लिखा है:
“जो अधूरी इच्छा, पूर्ण भक्ति में बदल जाए वो पुनर्जन्म नहीं, प्रभु की योजना होती है।”
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माँ राधा, पिताश्री कृष्ण उस बालक की पुनर्जन्म गाथा – भाग 2

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